Do pal written by kashi..

 अनामिका एक बहुत ही सरल स्वभाव की लड़की थी, उसे सब प्यार से अनु बुलाते थे। 

अनु की ज़िन्दगी भी नाॅर्मल सी थी लेकिन उसकी शादी किसी नॉर्मल लड़के से नहीं हुई थी रिषभ एक बहुत बड़ा बिजनेस मेन था और उसका घर भी काफी बड़ा था लेकिन उस घर में सिर्फ वो अनामिका और उसकी सास ही रहते थे और बाकी कामों के लिए नौकर भी, इतनी सारी सुविधाएं होते हुए भी अनु खुद को बहुत अकेला महसूस करती थी, क्योंकि रिषभ अपने बिज़ी शेड्यूल की वजह से उसे वक्त ही नहीं दे पाता था और छह महीने पहले उनकी चार साल की बच्ची भी कार एक्सीडेंट में गुज़र गई, जिसकी वजह से अनु और अकेली सी हो गई थी।

अनु: रिषभ, मुझे आपसे कुछ बात करनी है

रिषभ: अभी नहीं, आज अॉफिस में एक ज़रुरी मीटिंग है उसके बाद बात करते हैं

अनु: ओके🙂

रिषभ हर बार अपने काम का कोई न कोई बहाना लेकर चला जाता और अनु रह जाती अपने नसीब को कोसती हुई

कुछ दिनों बाद अनु के घर के पास एक किरायेदार रहने आता है, आनन्द वैसे तो आनन्द-रिषभ की उम्र का है लेकिन शादी नहीं हुई।

आनन्द अनु से बात करता है और उनकी दोस्ती गहरी हो जाती है।

अनु: तुम्हारी कोई girlfriend है क्या?

आनन्द: है, लेकिन अगर नहीं होती तो तुमसे शादी कर लेता

अनु चुप हो जाती है

आनन्द: मज़ाक था, बुरा लगा तो sorry

अनु और आनन्द एक दूसरे से रोज़ मिलते थोड़ा बातें करते और हँसी मज़ाक, अनु को एक दोस्त मिल गया था उसमें, वो दोस्त! जिसे वो रिषभ में ढूँढ रही थी।

एक दिन रिषभ अनु और आनन्द को गपशप करते हुए देख लेता है, फिर उसका एक बिजनेस काॅल आ जाता है और वो चला जाता है।

रात को:

रिषभ- अनु वो लड़का कौन था?

अनु- किरायेदार है, यहीं पड़ोस में रहता है।

रिषभ: ओह कल से दिखना नहीं चाहिए

अनु: रिषभ...वो

रिषभ(चिल्लाकर): कह दिया न! नहीं तो नहीं बस, ये मेरा घर है और यहाँ लोग मेरी मर्ज़ी से आयेंगे अब इस बात पर कोई बहस नहीं होगी।

अनु: वाह, तुम्हारा घर, तुम्हारी मर्ज़ी, मेरा है ही क्या इस घर में 5 साल से मैं इस घर में बस यही तो सुनने के लिए रह गयी थी कि ये तुम्हारा घर है

रिषभ: तुम इतनी सी बात को बड़ा मत करो

अनु: मैं बड़ा कर रही हूँ? और तुम्हारे पास कितना टाइम है, कितनी बातें करते हो मुझसे?

रिषभ: मैं तुमसे बात नहीं करता? तुम्हारे साथ टाइम स्पेंड नहीं करता?

अनु: हाँ, बस जब रोमांस करना होता है तब! उसके अलावा कभी तुमने दो पल भी मेरे साथ ग़ुज़ारे हैं,कभी पूछा है मैं कैसी हूँ, मेरा दिन कैसा गया और रिया के जाने के बाद तो तुम्हें पता ही नहीं है कि मैं भी हूँ तुम्हारी लाइफ में हूँ बस अपना बिजनेस और कुछ नहीं

रिषभ(गुस्से में): तो तुम इस बात के लिए दूसरे लड़कों के साथ रिश्ता बनाओगी, जगह-जगह मुँह मारोगी

अनु: रिषभ!😠 वो उसके एक ज़ोर का थप्पड़ मारती है👋

अनु: तुम्हारी सोच इतनी घटिया हो सकती है, मैंने कभी नहीं  सोचा था

वो दोस्त है मेरा, जिसने मुझे बस अपना थोड़ा सा वक्त दिया है और बहुत सारी इज्ज़त, जो मैं तुमसे expect करती हूँ, लेकिन आज! ये पूरी तरह साबित हो गया है कि मैं ग़लत थी, ग़लत थी मैं😭😭

रिषभ बेबस होकर बैड पर बैठ जाता है, और अपना सामान पैक करने लगती है।

रिषभ: ये....ये क्या कर रही हो?

अनु: वही जो बहुत पहले करना चाहिए था, बहुत सह लिया अब और नहीं, दम घुटता है मेरा तुम्हारी इस हवेली में😓

रिषभ कुछ नहीं कह पाता और अनु अपने घर इंदौर चली जाती है।

अगली सुबह रिषभ सोकर उठता है, उसे पता ही नहीं चला था कि वो कब ज़मीन पर बैठे बैठे वहीं सो गया था। अनु का अचानक चले जाना जैसे कोई सपना सा था, वो यकीन ही नहीं कर पा रहा था कि ऐसा भी हो सकता है।

रिषभ: अरे मम्मी, आपने क्यों बनायी चाय? किसी नौकर से कह देतीं

उसकी माँ: हमारे रसोई में नौकरों का कोई काम नहीं रसोई घर की औरतों की ही ज़िम्मेदारी होती है।

रिषभ: जिसकी थी वो तो चली गई न, बिना किसी की परवाह किए।

उसकी माँ: परवाह! किसकी परवाह नहीं की उसने, बस कभी पता नहीं चलने दिया पर मैं तो माँ हूँ न जानती हूँ उसे, उसने तो अपनी हर ज़िम्मेदारी बखूबी निभायी है।

रिषभ: और मैंने? मैंने कुछ नहीं किया

उसकी माँ: उसे वापस ले आना

रिषभ: बिल्कुल नहीं, वो अपनी मर्ज़ी से मुझसे लड़के गयी है, जब गुस्सा ठंडा हो जायेगा तो खुद आ जायेगी।

उसकी माँ: वो हमारे घर का मान है, और अपनी मर्ज़ी से नहीं गयी वो, सब सुना मैंने क्या क्या बोला है तूने उसे, मैं तो कहूँ जाकर माफी भी माँगनी चाहिए उससे

रिषभ कुछ कहता नहीं, और चला जाता है अॉफिस!

पर रिषभ का मन नहीं लगता, हालाँकि वो कभी भी पूरे दिन में अनु को न काॅल करता था न मैसेज फिर भी आज उसको  अनु की कमी महसूस हो रही थी।

अगली सुबह:

अनु और उसकी माँ बैठकर गप्पे मार रहे थे, तभी डोरबेल बजती है।

उसकी माँ: मैं देखती हूँ

अनु: मैं तब तक चाय बनाकर लाती हूँ

अनु चाय बनाकर लाती है

अनु: ये लो मम्मा आपकी......चाय....वो अचानक रिषभ को वहाँ देखकर चकित रह जाती है,

रिषभ: अ...हाय

अनु कुछ नहीं बोलती और चाय का कप उसे पकड़ा कर चली जाती है।

कुछ देर बाद:

रिषभ अनु के पास जाता है।

रिषभ: मैं....तुम्हें लेने आया हूँ

अनु तब भी कुछ नहीं बोलती

रिषभ: सामान पैक कर लेना कल सुबह निकल जायेंगे

वो उठकर जाने लगती है

रिषभ(उसे रोकते हुए): मैं तुमसे बात कर रहा हूँ।

अनु: अच्छा, सच में? तुम कब से बातें करने लगे,लगता है नया नया फीचर आया है मैं जब वहाँ थी तब जनाब के पास 5 मिनट भी नहीं थे मुझसे बात करने के लिए और अब एक हफ्ता भी नहीं रह सके कमाल है। मुझे तो लगा था आज़ादी मिल गयी होगी तुम्हें।

रिषभ: अनु प्लीज़ फिर से उन बातों को क्या शुरू करना

अनु: बात खत्म ही कहाँ हुयी है? मैं तो रिश्ते बनाती रहती हूँ न, तो यहाँ भी कोई न कोई ढूँढ ही लूँगी,हैना?

रिषभ: मैंने गुस्से में कहा था वो सब

अनु: गुस्सा? वाह, गुस्से में तुम तमीज़ भी भूल जाते हो?किसी के भी केरेक्टर पर कीचड़ उछाल सकते हो।

रिषभ चुप हो जाता है। अनु सोने चली जाती है।

रिषभ अनु के पास जाता है, वो सो रही होती है

रिषभ: मुझे पता है तुम जगी हो, सो तो मैं रहा था मुझे कभी ख्याल ही नहीं आया कि मेरे हाथ रहकर भी तुम खुद को अकेला महसूस करती हो, और मैं बेवकूफ तुम्हें इग्नोर करता रहता लेकिन मुझे पता है तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो इसीलिए...

अनु: करती थी! लेकिन तुमने जो किया, उसके बाद बचा हुआ भी सब खत्म हो गया।

रिषभ: मुझे पता है मैंने जो गलती की है उसकी कोई माफी नहीं है लेकिन फिर भी कोशिश करना,मुझे माफ कर देना😥 i m sorry

अनु: माफी नहीं, तुम्हें सज़ा मिलनी चाहिए🤨

रिषभ: ओके😐

अनु: और तुम्हारी सज़ा ये है कि तुम हर रोज़ मेरी बकवास सुनोगे, और कभी भी मुझे इग्नोर नहीं करोगे। 

रिषभ: नहीं करुँगा प्रोमिस!

💕🕊And they live happily ever after🕊💕

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