अधूरे ख़्वाब, एक प्यार भरी कहानी....
बैड पर पड़ा हुआ फोन पिछले दस मिनट से लगातार बज रहा था, लेकिन कोमल तो न जाने कहाँ खोयी हुई थी शायद उसे नफरत हो रही थी खुद से अपने अंदर के तूफान से लड़ते-लड़ते हार गयी थी वो क्यों हर बार लड़के वाले आकर उसे Reject कर जाते और उसकी छोटी बहन जो बेहद खूबसूरत थी उसे पंसद कर लेते थे इस बात से कोमल का मन बहुत भर चुका था वो खुद से और भगवान से बस एक ही सवाल करती थी क्या तन की सुन्दरता मन की सुन्दरता से भी ज्यादा ऊपर होती है क्यों हम इंसान को इंसान समझकर स्वीकार नहीं करते क्यों ये समाज सबको बाहरी खूबसूरती से ही आँकता है और भी बहुत सवाल थे कोमल के मन में इस सबको लेकर 30 साल की कोमल इन सब बातों के कारण इतनी परेशान रहने लगी थी कि अब वो किसी से बात भी कम करती थी... देखते-देखते इस बार उसके माता-पिता ने भी कोमल के लिए लड़का देखना बंद कर दिया और जो आखिरी लड़का कोमल के लिए देखा था उसे कोमल की छोटी बहन स्वाति के लिए तैयार कर लिया देखते-देखते स्वाति की भी शादी हो गयी और कोमल बस वही एक छोटे से स्कूल की प्रिंसिपल बन गयी कोमल ने अब अपनी छोटी सी दुनिया उसी स्कूल में और वहाँ के बच्चों